अध्याय 11 जीवन बीमा में मूल्य निर्धारण और मूल्यांकन
प्रीमियम
बीमा के लिए मूल्य:
मूल्य निर्धारण प्रीमियम की उस दर को संकेतित करता है जो बीमा योजना पर शुल्क के रूप में भारित होता है
यह सामान्य रूप से बीमित राशि पर प्रति हजार प्रीमियम की दर से व्यक्त किया जाता है
पॉलिसीधारक कई तरीकों से प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं:
- एकल प्रीमियम योजना
- स्तर प्रीमियम योजना
- लचीली प्रीमियम योजना
प्रीमियम के प्रकार: यह एक बीमांकिक (actuary) द्वारा दर के अनुसार निष्पादित किया जाता है
- कार्यालय प्रीमियम: ये दरें बीमा कंपनीं की तालिकाओं में छपी होती हैं। ये आम तौर पर सामान प्रीमियम होते हैं जो जिनका हर साल भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
- जोखिम प्रीमियम: प्रीमियम वर्ष के लिए दावे को पूरा करने के लिये देना पड़ता है ।
जोखिम प्रीमियम = मृत्यु दर X बीमित राशि
- समान/स्तर प्रीमियम: पॉलिसी की पूरी अवधि के लिए समान प्रीमियम चार्ज किया जाता है ।
- नेट प्रीमियम: अर्जित किया गया ब्याज भी प्रीमियम की गणना के लिएलगाया जाता है
नेट प्रीमियम = प्रीमियम – ब्याज से आय।
सकल प्रीमियम: नेट प्रीमियम + खर्चों हेतु लोडिंग + आकस्मिकताओं के लिए लोडिंग + बोनस लोडिंग
- उच्च मृत्यु दर तो उच्च प्रीमियम होगा।
- उच्च अनुमानित ब्याज दर तो निम्न प्रीमियम:
छूट: जीवन बीमा कंपनिया देय प्रीमियम पर छूट की पेशकश कर सकती हैं ।
ऐसी दो छूट हैं:
बीमित राशि के लिए
प्रीमियम के मोड/तरीके के लिए।
- अतिरिक्त प्रभार: (लोडिंग):
शुद्ध प्रीमियम में कुछ जोड़ना उदाहरण: प्रशासन प्रभार, चिकित्सा व्यय, प्रसंस्करण फीस, लाभ मार्जिन बोनस आदि
प्रीमियम के घटक:
- मृत्यु
- बोनस लोडिंग
- रिज़र्व
- प्रबंधन का व्यय
- ब्याज
- लोडिंग की राशि का निर्धारण करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत:
1.पर्याप्तता: सभी पालिसी से कुल लोडिंग कंपनी को संचालित करने हेतु व्यय को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए । इसे सुरक्षा के एक मार्जिन प्रदान करना चाहिए और अंत में इसे कंपनी के अधिशेष या लाभ के लिए योगदान देना चाहिए ।
- इक्विटी: योजना, प्लान के प्रकार, उम्र और कार्यकाल आदि के अनुसार , व्यय और सुरक्षा मार्जिन आदि समान रूप से विभिन्न प्रकार की पालिसी में प्रयुक्त किये जाने चाहिए ।
- प्रतिस्पर्धा: अंतिम सकल प्रीमियम को कंपनीकी प्रतिस्पर्धी स्थिति में सुधार करने में सक्षम होना चाहिए।
- 4. अधिशेष और बोनस के निर्धारक
प्रत्येक जीवन बीमा कंपनी से अपनी संपत्ति एवं देनदारियों का एक आवधिक मूल्यांकन शुरू करने की अपेक्षा की जाती है :
- a) जीवन बीमा कंपनी की वित्तीय स्थिति का आकलन करना , दूसरे शब्दों में यह निर्धारित करना कि कहीं यह दिवालिया तो नहीं है
- b) पॉलिसीधारकों के बीच उपलब्ध अधिशेष के वितरण / शेयर का निर्धारित करना
अधिशेष :
अधिशेष संपत्ति के मूल्य से अधिक देनदारियों की अधिकता को व्यक्त करता है । अगर यह नकारात्मक होता है, यह स्ट्रेन (तनाव) के रूप में जाना जाता है।
अधिशेष = संपत्ति – देनदारिया।
- आस्तियों का निम्नलिखित तीन तरीकों में से एक में मुल्यांकन किया जाता है:
- A) बुक वैल्यू (संपत्ति की खरीद मूल्य)
- B) बाजार मूल्य (बाजार में संपत्ति का मूल्य)
- C) रियायती वर्तमान मूल्य (विभिन्न परिसंपत्तियों से भविष्य की आय के स्रोत और उन्हें वर्तमान में छूट देना )
बोनस :
एक अनुबंध के तहत बुनियादी लाभ के अतिरिक्त देय भुगतान को बोनस कहा जाता है।
प्रत्यावर्ती बोनस के प्रकार:
- a) सरल बोनस
- b) मिश्रित बोनस
- c) टर्मिनल बोनस